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समंदर

समंदर के किनारे मै रोज़ बैठा सुबह-शाम, आज वो बातें मैं तुझसे कहता हूँ। ये उफ़ान मारती लहरें, जैसे मुझे समझा रही हैं शांत रहने को,सब्र रखने को, कि जैसे एक बहाव में बिछड़ना तय है अगली लहर में मिलना भी तय है। और ये तेज़ बहती हवाएँ, ये तेज़ हवाओं का शोर मुझसे कह…

याद

शराब से भी नशीली हैं मेरे यार की आँखे,समंदर-सी गहरी है उस की मुस्कान भरी आँँखे। भांग के नशे-सी है उसकी हर-एक बात, लबों पे जैसे उसके सरस्वती हो साथ। यूँ तो कुछ ख़ास नहीं थी बात,फ़िर भी मेरी नस-नस में बहती है उसकी हर-एक याद। नशा वो कोई आम नहीं है यार,शराब का नशा…

बेवफा

जा रे बेवफा, तुझसे भी क्या प्रीत करूं। तू ना किसी का मीत रे, तुझसे भी क्या प्रीत करूँ रे। ये कैसा प्यार है तेरा,कैसा है ये रिश्ता तेरा। जहां ना ख्याल है दिल का, ना कदर है जज्बातों की। जा रे बेवफा,तुझसे भी क्या प्रीत करूँ। तू ना किसी का मीत रे, तुझसे भी…

एहसास

वो आयी थी हमारी ज़िंदगी में, हमसे ही जिंदगीभर दूर जाने के लिए। साथ निभाना बखूबी सिखाया उन्होंने हमें, हमारा ही साथ छोड़ जाने के लिए। इश्क़ करना सिखाया हमें, खुद से ही रुसवाई महसूस करवाने के लिए। बेहद अज़ीब मोहब्बत थी उसकी ग़ालिब, हमसे ही शिकायतें किया करती थी हमें सज़ा दिलवाने के लिए।…

नीलाम

मोहब्बत हम उनसे सरेआम कर गए, आँखों ही आँखों में उनसे अपने इश्क़ का इज़हार कर गए। कहनी थी जो उनसे दिल की हज़ारों बातें, ज़ुबान से हम कह ना सके । शबनम तो मिली नहीं ग़ालिब, इश्क़ की भरी बाज़ारी में हम खुद को नीलाम कर बैठे।

अग्नि

अग्नि है वो, गुस्से में अग्न -सी गर्म जलने वाली आग है वो। बेजान में जान फूंक दे, मानो अघोरी है वो। हंसते-खेलते संसार को नफ़रत की अग्न में भस्म कर दे, ऐसी पिशाचिनी है वो। ममता की गंगा, ज्ञान का सागर है वो। वो औरत है वक़्त आने पर काली है वो। रिश्ते-रिश्तेदारी की…

जानी-अनजानी

ढलती शाम-सी है वो, खूबसूरत चाँद-सी है वो। बातें उसकी बच्चों जैसी, हरकतें उसकी भोलों जैसी। चुप हो तो शांत समंदर-सी लगती है वो, गुस्से में झरने की बरसती बरसात-सी लगती है वो। अचरज अचंभित कर दे कुछ इस तरह की है वो, कुछ इस अदाकारी भरी किरदार है वो। ढलती शाम-सी है वो, खूबसूरत…

कुदरत की बातें

शांत नीला आसमां भी मालूम पड़ता है जैसे बहुत कुछ कह रहा है भागते बहते इन बादलों से। देख कर इंसान को कैद इन स्लेटी इमारतों में। शांत हुई आज सड़कें धरा पर जो कभी बेकाबू भीड़ से भरी रहती थी, घरों में कैद हैं इंसानी कौम जो बेजुबानों को कैद किया करती थी। हंस…

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